कोयला तस्करों के गोद में कैद है सिस्टम

 

ब्यूरो चीफ आदित्य सिंह की खास रिपोर्ट 

धनबाद। हजारों साल तक विदेशी आक्रांताओं और उसके बाद अंग्रेजों की गुलामी से आजाद होने के बाद भारत में सरकारी कामकाज और उसे बेहतर ढंग से चलाने के लिए सिस्टम बना लेकिन, यही सिस्टम देश की कोयला राजधानी धनबाद में कोयला तस्करों के गोद में कैद हो गया है। मंत्री, नेता हो या फिर प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी, सभी सिस्टम के हिस्सेदार हैं । महंगी शौक को पूरा करने और ऐशो आराम की जिंदगी गुजारने के लिए सिस्टम के 95 फीसदी लोगों ने कोयला चोरों, तस्करों और माफियाओं के आगे घुटना टेक दिया है। इसमें नंबर वन पर देश की जनता की जानमाल की रक्षा करने और उसे इंसाफ दिलानेवाली पुलिस है। फिर गोदी मीडिया का नंबर आता है। जानकार बताते हैं कि पुलिस कितना रक्षा करती है और कितना इंसाफ दिलाती है, यह बताने की जरूरत नहीं है। आतंकियों, नक्सलियों और पेशेवर अपराधियों से भी बड़ा अपराधी पुलिस है। कोलियरी क्षेत्रों में तैनात सीआईएसएफ भी पुलिस की तरह भ्रष्ट हो चुकी है। कोल अधिकारी भी कोयला चोरों, तस्करों और माफियाओं के  समर्थक हैं। जिला प्रशासन के अधीन खनन विभाग समेत कई विभागों के अधिकारी और कर्मचारी भी अवैध कार्य में संलिप्त हैं। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री सह भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी भी हमेशा मीडियाकर्मियों से कहते रहे हैं कि धनबाद समेत पूरे झारखंड में खनिज संपदा की लूट मची हुई है। रोजाना अरबों रुपए की कोयला चोरी हो रही है। थानेदार,  डीएसपी, एसपी, एसएसपी, डीआईजी, आईजी से लेकर डीजीपी और सरकार तक के पास कोयला तस्करों और माफियाओं की फौज मोटी रकम पहुंचाते हैं। यह रकम करोड़ों और अरबों रुपए में होता है।

रोजाना 5000 ट्रक और हाइवा से होती है कोयले की तस्करी 

सूत्रों का कहना है कि धनबाद के बीसीसीएल और ईसीएल क्षेत्र में 10000 से अधिक अवैध उत्खनन स्थल है। जहां 5 लाख से अधिक बच्चे, युवा और बुजुर्गों की फौज दिन रात कोयले की चोरी करते हैं। कोयला चोरी कराने के लिए कोयला माफिया और तस्कर कोयला चोरों को जेसीबी और पोकलेन समेत कई अन्य मशीनें भी उपलब्ध कराते हैं। झरिया, जोरापोखर, सुदामडीह, भौंरा, सिंदरी, केंदुआडीह, कतरास, तेतुलमारी, बाघमारा, महुदा, पुटकी, निरसा, मैथन, चिरकुंडा, मुगमा, कुमारधुबी, पंचेत समेत कई थाना क्षेत्रों में पुलिस और सीआईएसएफ समेत कई अन्य विभागों के अधिकारियों के संरक्षण में रोजाना 5000 ट्रक और हाइवा से लगभग 500 करोड़ रुपए की कोयले की तस्करी हो रही है। विभाग के अधिकारियों से मिलकर असली के तर्ज पर फर्जी कागजात बनवाकर तस्कर और माफिया चोरी का कोयला धनबाद समेत विभिन्न राज्यों में भट्ठों से लेकर डीपो, पावर प्लांट, कारखाने आदि जगहों पर भेजते हैं। लोगों का कहना है कि पिछले 50 से 60 वर्षों से कोयले की तस्करी हो रही है। राज्य या केंद्र में किसी भी पार्टी की सरकार हो, कोयला चोरी और तस्करी रोकने में विफल रही है। जो तस्कर और माफिया पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के टेबल पर पैसा नहीं पहुंचाते हैं उनका ट्रक और हाइवा को जब्त कर लिया जाता है। फिर एफआईआर दर्ज कानूनी कार्रवाई की जाती है। 100 में एक फ़ीसदी ही ऐसे तस्कर और माफिया हैं, जिससे खिलाफ कानूनी कार्रवाई होती है।

 कोयला तस्कर और माफियाओं से हर महीने एक करोड़ रुपए लेकर गोदी मीडिया को मैनेज करता है वसूलीबाज अजय 

सूत्रों के अनुसार लगभग एक सौ कोयला तस्कर और माफियाओं से हर महीने एक करोड़ रुपए लेकर गोदी मीडिया को वसूलीबाज अजय मैनेज करता है। लगभग एक सौ फोटोग्राफर, रिपोर्टर से लेकर कुछ संपादकों को भी पैसा पहुंचाता है। इसमें न्यूज पोर्टल के 50 फ़ीसदी लोग शामिल है। कई लोग ऐसे भी हैं जो पहले चोरी, छिनतई और लूटपाट समेत अन्य आपराधिक मामलों में जेल जा चुके हैं और जेल से छूटने के बाद न्यूज़ पोर्टल, चैनल और अखबार में शामिल हो गए हैं। चार लाइन सही से हिंदी नहीं लिख पाते हैं, फिर भी रिपोर्टर और संपादक बने हुए हैं। ऐसे लोगों के पीछे-पीछे वसूलीबाज अजय दुम हिलाता रहता है और उसका तलवा चाटता है। लोग बताते हैं कि वसूलीबाज अजय पहले रेड लाइट एरिया से लड़कियों और महिलाओं को लाकर उससे धंधा करवाता था। तथाकथित अधिकारियों, नेताओं और व्यवसायियों को भी सेवा देता था। ऐसे करते करते तथाकथित अधिकारियों और नेताओं का चहेता बन गया। अखबार और न्यूज़ चैनल में कोयला चोरी और तस्करी की खबर रुकवाने के लिए तथाकथित अधिकारियों और तस्करों व माफियाओं के साथ एक होटल में मीटिंग की गई। जिसमें तय हुआ था कि सभी तस्कर और माफिया मिलकर अजय को हर महीने एक करोड़ देंगे और वही मीडियाकर्मियों के बीच रुपए का बंटवारा करेगा, लेकिन वसूलीबाज अजय 15 से 20 लाख रुपए बांटता है और बाकी 80 लाख रुपए डकार जाता है। 10 साल के भीतर करोड़ों रुपए की जमीन, मकान, फ्लैट और लग्जरी गाड़ियां खरीद चुका है। तन, दिल, मन, चरित्र काला, लेकिन कपड़े, जूते और गाड़ियां सफेद इस्तेमाल करता है। लोगों का यह भी कहना है कि कोयला माफिया गणेश यादव, रोहित यादव, पप्पू दुबे, हरेंद्र चौहान और विजय यादव समेत एक दर्जन लोगों के घर अजय का रोजाना आना-जाना है।



एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने