हजारीबाग। जम्मू-कश्मीर के अखनूर सेक्टर में आईईडी ब्लास्ट में शहीद हुए कैप्टन करमजीत सिंह बख्शी पंचतत्व में विलीन हो गए। खिरगांव मुक्तिधाम में उनका अंतिम संस्कार हुआ। इससे पहले गुरुवार सुबह करीब 11 बजे उनकी अंतिम यात्रा हजारीबाग स्थित आवास से निकली। शहीद के पार्थिव शरीर को सेना के वाहन में रख कर शहर से होते हुए खिरगांव मुक्तिधाम लाया गया है। इस दौरान जनप्रतिनिधि के साथ-साथ भारी संख्या में हजारीबाग की आम जनता भी मौजूद रही। साथ ही हजारीबाग डीसी नैंसी सहाय और एसपी अरविंद कुमार सिंह भी मौजूद रहे।
'भारत माता की जय' और 'कैप्टन करमजीत सिंह अमर रहे' के नारे लगे
शहीद की अंतिम यात्रा जिधर से गुजरी 'भारत माता की जय' और 'कैप्टन करमजीत सिंह अमर रहे' के नारे लगे। लोगों ने फूलों की बारिश की। मुक्तिधाम पहुंचने पर शहीद कैप्टन के पार्थिव शरीर पर लिपटें तिरंगे को जब सेना के अधिकारी ने उनकी मां को सौंपा तो उन्होंने जो बोले सो निहाल.. सत श्री अकाल के नारे लगाए।
शहीद की अंतिम यात्रा में उमड़ा शहर
शहीद कैप्टन करमजीत सिंह बख्शी की अंतिम यात्रा में पूरा शहर उमड़ा पड़ा। बच्चे, बूढ़े, महिलाएं सभी शहीद के अंतिम दर्शन और अंतिम विदाई में शामिल होने पहुंचे हैं। जिन रास्तों से हो कर शहीद का पार्थिव शरीर ले जाया गया, वहां लोग फूलों की बारिश कर रहे हैं। लोगों ने नम आंखों से अंतिम विदाई दी।
सम्मान में सिख समुदाय अपनी दुकानें की बंद
शहीद के सम्मान में हजारीबाग के सिख समुदाय ने अपने व्यवसायिक प्रतिष्ठान बंद रखे। शहीद कैप्टन की अंतिम यात्रा में स्थानीय प्रशासन के अलावा सेना के अधिकारी, जनप्रतिनिधि और बड़ी संख्या में आम नागरिक शामिल हो रहे हैं। वीर सपूत की शहादत से पूरा शहर शोकाकुल है, लेकिन उनकी वीरता और सर्वोच्च बलिदान पर सभी को गर्व है। उनकी देशभक्ति और पराक्रम की गाथा हमेशा प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी।
5 अप्रैल को विवाह बंधन में बंधने वाले थे कैप्टन करमजीत
आईईडी धमाके में कैप्टन के अलावा दो जवान भी घायल हो गए थे। उन्हें अस्पताल ले जाया गया। लेकिन, कैप्टन करमजीत सिंह बख्शी और नायक मुकेश ने दम तोड़ दिया। परिजनों से मिली जानकारी के अनुसार कैप्टन करमजीत की शादी तय हो चुकी थी। 5 अप्रैल को वे विवाह के बंधन में बंधने वाले थे।
छुट्टी के बाद 24 जनवरी को जम्मू गए थे
कैप्टन करमजीत सिंह की पढ़ाई गुवाहाटी में हुई थी। वे 2023 में सेना में भर्ती हुए थे। परिजनों ने बताया कि कैप्टन करमजीत 16 जनवरी को एक हफ्ते की छुट्टी पर घर आए थे। इस दौरान वे परिवार में हुई शादी में शामिल हुए। अपनी भी शादी की तैयारियां कीं। 24 जनवरी को वे ड्यूटी ज्वाइन करने के लिए जम्मू चले गए।
बेटे को शुरू से ही आर्मी में जाने का जुनून था : पिता
शहीद के पिता अजेंद्र सिंह का हजारीबाग में ही क्वालिटी टेंट हाउस का व्यवसाय है। जिस समय उन्हें बेटे की शहादत की सूचना मिली, वे पत्नी के साथ एक शादी में गए थे। दो भाइयों में कैप्टन कमरजीत बड़े थे। एक बहन भी है, जो अभी पढ़ाई कर रही है। अजेंद्र सिंह ने कहा कि बेटे को शुरू से ही आर्मी में जाने का जुनून था। विदित हो कि जम्मू-कश्मीर में शहीद हुए हजारीबाग के कैप्टन करमजीत सिंह बक्शी का पार्थिव शरीर बुधवार को रांची एयरपोर्ट लाया गया। 25 साल के करमजीत सिंह बक्शी उर्फ पुनीत मंगलवार को अखनूर सेक्टर में IED की चपेट में आ गए थे।
बेटे को तिरंगे में लौटा देख कैप्टन करमजीत सिंह की मां भावुक हो गईं
बेटे को तिरंगे में लौटा देख कैप्टन करमजीत सिंह की मां भावुक हो गईं। उन्होंने एयरपोर्ट पर बेटे के पार्थिव शरीर को देखते ही नारा लगाया-जो बोले सो निहाल।
राज्यपाल संतोष गंगवार और वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने श्रद्धांजलि दी
रांची एयरपोर्ट पर कैप्टन करमजीत सिंह को राज्यपाल संतोष गंगवार और वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने श्रद्धांजलि दी।







