रांची से ब्यूरो चीफ मुन्ना सिंह की खास रिपोर्ट
रांची । होली में इस बार झारखंड सरकार 100 करोड़ और अवैध कारोबारी 500 करोड़ की शराब पिलायेंगे। सरकारी दुकानों में भले ही 100 करोड़ की शराब बिक्री करने का टारगेट है लेकिन, अवैध कारोबारियों ने इस बार रांची, धनबाद, गिरिडीह, बोकारो, हजारीबाग, देवघर समेत राज्य के सभी जिलों में 500 करोड़ रुपए की शराब पिलाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। असली के तर्ज पर विभिन्न ब्रांडेड नामों से नकली अंग्रेजी शराब बनाने का काम जोरों से चल रहा है। धनबाद समेत कई जिलों में हजारों अवैध फैक्ट्री है, जहां दूसरे राज्यों से खाली बोतलें, रैपर, ढक्कन लाया जाता है। फिर नकली शराब बनाने के बाद उसमें भरकर सील पैक कर दिया जाता है। जिसे आम आदमी देखकर पकड़ नहीं पता है कि वह नकली शराब है या फिर असली। उत्पाद विभाग के अनुसार झारखंड में इस वर्ष होली में रिकॉर्ड शराब की बिक्री का अनुमान है. इस वर्ष यह 100 करोड़ के पार जाने की संभावना है. पिछले वर्ष होली के मौके पर तीन दिनों में लगभग 92 करोड़ की शराब की बिक्री हुई थी. वर्ष 2023 में लगभग 70 करोड़ की शराब की बिक्री राज्य में हुई थी. पिछले वर्ष सबसे अधिक शराब की बिक्री रांची में हुई थी. रांची में लगभग 13 करोड़ की शराब की बिक्री हुई थी. इसके बाद धनबाद और हजारीबाग में सबसे अधिक बिक्री हुई है. इस वर्ष भी इन जिलों में सबसे अधिक शराब बिक्री का अनुमान है।
2700 करोड़ के राजस्व का लक्ष्य
एमआरपी से अधिक रेट पर शराब की बिक्री करने वालों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जायेगी. इसके लिए भी जिलों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिया गया है. वित्तीय वर्ष 2025-26 में शराब से लगभग 2700 करोड़ के राजस्व का लक्ष्य है।
एमआरपी से अधिक रेट पर बेचते हैं शराब
सूत्रों के अनुसार धनबाद समेत राज्य के सभी जिलों में शराब दुकानदार एमआरपी से अधिक रेट पर ग्राहकों को शराब देते हैं। निप पर 10, हाफ पर 20 और फुल पर 30 रुपए लेते हैं। उत्पाद विभाग के इंस्पेक्टर से लेकर सहायक उत्पाद आयुक्त और आयुक्त तक को दुकानों से मंथली रकम पहुंचाया जाता है। इसको लेकर कई बार दुकानों पर हंगामा हो चुका है और बीच-बीच में होता भी रहता है। सहायक उत्पाद आयुक्त और आयुक्त से अधिक रेट के मामले में शिकायत भी की गई लेकिन, किसी के खिलाफ विभागीय या कानूनी कार्रवाई नहीं की गई। लोग बताते हैं कि अधिकतर खरीदार इसका विरोध नहीं करते हैं। जिसके कारण दुकानदारों का मन बढ़ गया है। धनबाद में रोजाना सिर्फ दुकानों से 50 लाख से अधिक की शराब की बिक्री होती है। दुकानदार रोजाना 1 लाख से अधिक रुपए अवैध कमाई के रूप में ग्राहकों से वसूलते हैं।महीने में 30 लाख और साल में 3 करोड़ 60 लाख रुपए अधिक रेट लेकर वसूल लेते हैं। इसमें 50 फीसदी हिस्सा उत्पाद विभाग के टेबल पर पहुंच जाता है। जिला पुलिस की तरह उत्पाद विभाग भी वर्षों से भ्रष्ट है।
धनबाद में 1000 से अधिक नकली शराब की फैक्ट्री
सूत्रों के अनुसार शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ ग्रामीण और कोलियरी इलाकों में भी महुआ से लेकर नकली अंग्रेजी शराब बनाने की फैक्ट्री 1000 से अधिक की संख्या में हैं। हीरापुर, धैया, भूदा, धनसार, झरिया, सिंदरी, केंदुआडीह, कतरास, महुदा, बाघमारा, बरवाअड्डा, गोविंदपुर, टुंडी, निरसा, चिरकुंडा और कुमारधुबी समेत दर्जनों इलाके में नकली शराब बनाई जाती है। नकली शराब बनाने वाले फैक्ट्री संचालकों से उत्पाद विभाग के अधिकारी हर महीने करोड़ों रुपए वसूली करते हैं। जो फैक्ट्री संचालक मंथली देने से आनाकानी करते हैं। वहां उत्पाद विभाग के अधिकारी छापामारी कर कानूनी कार्रवाई करते हैं। कुछ दिनों के बाद जब संबंधित फैक्ट्री संचालक से मंथली फिक्स्ड हो जाता है तो फिर वहां छापामारी नहीं की जाती हैं।
सरकारी शराब दुकानों में खपाया जाता है नकली शराब
धनबाद में दर्जनों सरकारी शराब दुकानों में नकली शराब खपाया जाता है। दुकान संचालकों से लेकर उत्पाद विभाग के पदाधिकारियों की मिलीभगत से हर महीने करोड़ों रुपए की नकली शराब ग्राहकों को दी जाती है। ऐसे में कभी भी जहरीली शराब कांड की घटना दोहराई जा सकती है। बिहार में अक्सर जहरीली शराब कांड से दर्जनों लोगों की मौत होती रहती है। विभाग के अधिकारियों से लेकर मंत्री तक को शराब माफिया लाखों करोड़ों रुपए पहुंचाते हैं। स्थानीय पुलिस और गोदी मीडिया को भी हिस्सा मिलता है। वसूलीबाज अजय, काला कौआ शर्मा, रेपिस्ट नवीन, पलटू वर्मा, काना कन्हैया, सड़क छाप फोटोग्राफरों का तलवा चाटने वाला नरेंद्र और लंगड़ा मंझय समेत कई तथाकथित मीडियाकर्मी हैं जो अवैध शराब कारोबारियों से मंथली लेते हैं।


