गोदी मीडिया ने पत्रकारिता को नर्क बना दिया

 

ब्यूरो चीफ मुन्ना सिंह की खास रिपोर्ट 

रांची। गटर के गंदे पानी की तरह तब्दील हो चुके गोदी मीडिया ने पत्रकारिता को नर्क बना दिया है। सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य समेत सैकड़ों सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ आम जनता को नहीं मिल रहा है। सरकारी योजनाओं की हालत काफी बिगड़ी हुई है। जिम्मेदार अफसरों और मंत्रियों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। सरकारी अस्पतालों में समय पर डाॅक्टर नहीं आते हैं। दवाएं भी नहीं मिलती है। भर्ती मरीजों को बेड पर चादर और तकिया तक नहीं दिया जाता है। वेतन और दवा समेत अन्य मद में हर साल धनबाद में सरकारी अस्पतालों पर करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं। सरकारी स्कूलों में बेहतर ढंग से पढ़ाई नहीं होती है। शिक्षकों की भी काफी कमी है। 95 फीसदी बच्चे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ रहे हैं। सड़क, बिजली और पानी की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। सरकार व सिस्टम में शामिल अधिकारियों से सवाल करने और समाज को जागरूक करने की बजाय गोदी मीडिया चाटुकारिता कर समाज में दुर्गंध फैला रहा है । लोकतंत्र के चौथे स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकारों में शामिल गोदी मीडिया ने पत्रकारिता के नाम पर सिर्फ और सिर्फ अपराध किया है और अपराधियों, भ्रष्ट नेताओं व अधिकारियों को संरक्षण देने का काम किया है। सिस्टम में शामिल 95 फीसदी मंत्रियों, नेताओं और अधिकारियों ने गोदी मीडिया के साथ मिलकर लोकतंत्र को खोखला कर दिया है। इसकी बुनियाद ही ध्वस्त कर दी गई है। 

आजादी के 78 साल बाद भी क्राइम बेकाबू 

लोगों की मानें तो अधिकतर आपराधिक मामलों में पुलिस, अधिकारी और नेताओं का आशीर्वाद अपराधियों को सालों भर मिलता रहता है। यही वजह है कि आजादी के 78 साल बाद भी क्राइम बेकाबू है। अत्याधुनिक संसाधनों से लैस होने के बावजूद रोजाना अपराधियों का नया गैंग तैयार हो रहा है और नए तकनीक से क्राइम करके पुलिस को खुलेआम चुनौती दे रहे हैं। जिसे नेस्तनाबूद करने की औकात पुलिस को नहीं है। क्योंकि पुलिस डिपार्टमेंट में अधिकतर अधिकारी और कर्मचारी अपराधियों से मिले होते हैं। झारखंड बनने के बाद हालात सुधरने की बजाय बिगड़ती जा रही है। पहले की अपेक्षा क्राइम हजार गुना बढ़ चुका है। 

अधिकतर अपराधी विधायक, सांसद और मंत्री बन गए

चोरी पाॅकेटमारी करनेवाला आज शहर का डाॅन बन चुका है। अधिकतर अपराधी विधायक, सांसद और मंत्री बन चुके हैं। जनप्रतिनिधियों पर सैकड़ों केस दर्ज है। चोरी, पाॅकेटमारी, छिनतई और लूटपाट समेत विभिन्न आपराधिक मामलों में जेल जा चुके कई मीडियाकर्मी अखबार और न्यूज चैनलों में हैं। ऐसे लोग पत्रकारिता की छवि धूमिल कर रहे हैं। इसके अलावा कई लोग न्यूज पोर्टल भी चला रहे हैं और उसमें काम भी कर रहे हैं। बगैर रजिस्ट्रेशन के भी कई अखबार, चैनल और न्यूज पोर्टल चल रहा है। जिसपर कार्रवाई नहीं होती है। प्रेस क्लब के कई मेंबर भी पूर्व में जेल जा चुके हैं। रेलवे और बीसीसीएल समेत अन्य विभागों के सरकारी क्वार्टरों पर कब्जा कर वर्षों से रह रहे हैं। 

आवेदन की बात कौन करे, क से ज्ञ तक भी लिखना नहीं आता, बनते हैं बड़े पत्रकार और संपादक 

एक आवेदन भी हिंदी में सही से लिख नहीं सकते हैं लेकिन, अपने आपको बहुत बड़े पत्रकार और संपादक समझते हैं। धनबाद की बात करें तो 90 फीसदी लोगों को क से ज्ञ तक भी लिखना नहीं आता है। प्रेस क्लब या प्रेस कॉन्फ्रेंस में बात तो ऐसे करेंगे कि जैसे सरकार को गिराकर राज्य या देश में राष्ट्रपति शासन लागू करवा देंगे। 

तस्करी रोकने में सिस्टम अपाहिज साबित, हिस्सा के लिए गोदी मीडिया का मौन समर्थन 

लोगों का यह भी कहना है कि देश की कोयला राजधानी धनबाद में अकूत खनिज संपदा है और यहां वर्षों से रोजाना करोड़ों की कोयला, बालू और गो तस्करी हो रही है। जिसे रोक पाने में सिस्टम आज तक अपाहिज साबित हुआ है। गोदी मीडिया का मौन समर्थन होने के कारण ही ऐसा हो रहा है। क्योंकि चार हिस्सों में एक हिस्सा गोदी मीडिया को मिलता है। गोदी मीडिया में तथाकथित फोटोग्राफर से लेकर रिपोर्टर, डेस्क इंचार्ज, संपादक, प्रधान संपादक और अखबार व न्यूज़ चैनल के मालिक भी होते हैं। यही वजह है कि अब पुलिस, अधिकारी, मंत्री, पत्रकार और नेताओं पर भी हमलें होने की खबरें सामने आने लगी है। लोगों का कहना है कि सांप, बिच्छू और खूंखार जानवर पालेंगे तो हमले के लिए भी तैयार रहिए।

प्रेस क्लब में सजती है नशेड़ियों की महफिल 

जानकारों का कहना है कि रोजाना प्रेस क्लब में रातभर नशेड़ियों की महफिल सजती है। शराब, गांजा से लेकर कई तरह के नशीले पदार्थों का इस्तेमाल किया जाता है। वसूलीबाज अजय ही सालों भर नशेड़ी तथाकथित मीडियाकर्मियों का खर्चा उठाता है। वसूली का पैसा का बंटवारा को लेकर कई बार मारपीट की भी घटनाएं घट चुकी है। थाना में एफआईआर के बाद पुलिस ने छापामारी भी की थी और नशीले पदार्थ भी मिले थे। अपराधी प्रवृत्ति के तथाकथित मीडियाकर्मियों पर प्रेस क्लब के अध्यक्ष की ओर से न तो कार्रवाई की गई और न ही ऐसे लोगों को निष्कासित किया गया। प्रेस क्लब हमेशा गलत तत्वों को संरक्षण देने का कार्य किया है। कलयुगी धृतराष्ट्र और दुर्योधन के राज में सबसे अधिक गुंडाराज देखने और सुनने को मिलता है।

 होली के नाम पर 50 रुपए से लेकर 500 रुपए तक मांग रहे बख्शीश 

लोगों का कहना है कि होली के नाम पर तथाकथित मीडियाकर्मियों की फौज 50 रुपए से लेकर 500 रुपए तक थाना से लेकर व्यवसायियों, ठेकेदारों, बिल्डरों, नेताओं और तस्करों के पास जाकर बख्शीश मांग रहे हैं। बख्शीश लेने के लिए सुबह से रात तक जमें रहते हैं। होली के अलावा और भी पर्व-त्योहारों पर बख्शीश लेने जाते हैं। बख्शीश लेने के बाद खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं। चुनाव में भी जमकर वसूली करते हैं। न्यूज चैनल और अखबार के संपादकों को भी इसकी जानकारी है लेकिन, वे लोग भी फोटोग्राफरों और रिपोर्टरों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करते हैं। 

तस्करों और वसूली के पैसे से प्रेस क्लब में होगा होली मिलन समारोह 

जानकारों का कहना है कि तस्करों और वसूली के पैसे से एक प्रेस क्लब में होली मिलन समारोह का आयोजन होगा। यह कोई पहली बार नहीं होने जा रहा है। इससे पहले भी वसूली के पैसे से कई तरह के समारोह होते रहे हैं। फूहड़ गीतों पर गोदी मीडिया डांस भी करते हैं। दिन में लजीज व्यंजनों और रात भर शराब व गांजे का सेवन करते हैं।

शुभम संदेश और आवाज अखबार के मालिक व संपादक ने किया वेतन घोटाला 

शुभम संदेश और आवाज अखबार के मालिक व संपादकों ने लाखों रुपए का वेतन घोटाला किया है। पत्रकारों, फोटोग्राफरों, डेस्क पर काम करनेवाले और यहां तक की चपरासी का भी वेतन घोटाला किया है। किसी का एक साल तो किसी का दो से तीन साल तक का वेतन बकाया है। श्रम अधीक्षक से लेकर थाना और एसपी से भी शिकायत की गई। दीपक अंबष्ठ और अमित सिन्हा को अधिकारियों ने नोटिस भेजकर व फोन करके बुलाया। श्रम अधीक्षक कार्यालय और थाना में फजीहत भी हुई। एक महीने के भीतर सभी को बकाया वेतन देने की बात कही गई लेकिन, दोनों अखबार के मालिकों और संपादकों ने आज तक वेतन नहीं दिया है। 

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